प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 16)
पुलिस की सभी गाड़िया अरुण के पीछे लगी हुई थी। आदित्य ने सभी चैक पोस्ट्स पर बैरियर लगाने के निर्देश जारी कर दिए थे। अरुण ने मिरर व्यू में जब अपने पीछे लगी पुलिस की गाड़ियों को देखा तो वह हैरान रह गया। अब तक वह मैन रोड पर पहुंचने ही वाला था, वहां पहुंचकर उसे एहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी गलती कर दी। दो बड़े-बड़े ट्रक्स ने रोड को दोनों साइड से पहले ही सील कर दिया था। सामने की ओर एक बड़ी इमारत थी और पीछे से पुलिस की गाड़िया लगी हुई थी। वह अब चारों ओर से घिर चुका था। तभी अरुण का ध्यान सामने की कांच पर गया, उसपर वह अदृश्य गुप्त चिन्ह स्पष्तः दिखाई दे रहा था। वह समझ गया कि अचानक पुलिस उसके पीछे नहा धोकर क्यों पड़ गईं, एक तो वह इसी स्थान से अभी अभी प्रकट हुआ दूसरे यह चिन्ह, जिसे सबसे पहले अरुण ने ही ढूँढा था।
"इस ब्लैंक के दिमाग की क्षमता को कम आँकना शायद मेरी भूल थी, मगर वो कुत्ते का पिल्ला बचेंगा नहीं मेरे हाथों से।" अरुण की आँखों में लावा खौलने लगा। "इस आदित्य की प्लानिंग भी परफेक्ट है, अब तो ये तो मुझे पकड़वा के ही मानेगा। मुझे शायद उसकी बातों को सुनना चाहिए था।" अरुण को आदित्य के साथ किये गए अपने बुरे बर्ताव का थोड़ा बुरा लग रहा था, उसे एहसास हो गया था कि आदित्य बुरी से बुरी परिस्थिति में भी दिमाग का प्रयोग कर किसी को भी फंसा सकता है।
"एक मिनट! ये तू क्या सोच रहा है अरुण? ये अरुण का स्टाइल नहीं है!" अचानक ही उसका दिमाग फिर गया, होंठो पर शैतानी मुस्कान छा गयी। "ब्लैंक अगर तू मेरे साथ खेलना चाहता है तो ये अरुण का वादा है तुझसे, तुझे एक दिन अफसोस होगा कि तूने गलत इंसान को चुना। और उस दिन के बाद तेरे पास अफसोस करने का भी टाइम नहीं होगा।" अरुण के जबड़े बुरी तरह भींच गए, उसने एक्सीलेटर को पूरी ताकत से दबा दिया, वह सामने खड़ी ट्रक से टकराने ही वाला था तभी उसने क्लच पर हल्का दबाव बनाया और सिंगल ब्रेक के साथ हैंडब्रेक का प्रयोग करते हुए स्टेयरिंग को पूरा घुमा दिया, कार अपने ही स्थान पर एक हाफ चक्कर लेते हुए 360° पर घूम गयी, सड़क पर पहियों के घिसटने के निशान बन गए। देखने वालों ने यह हैरतअंगेज कारनामा देखकर दांतो तले उंगली दबा ली। अब अरुण और पुलिसवाले आमने सामने थे, ब्लैक ग्लासेज होने के कारण पुलिसवालों को अंदर कौन है यह नहीं दिख रहा था।
"गाड़ी रोककर अपने आप को हमारे हवाले कर दो मिस्टर! तुम जो कोई भी हो, अब चारों ओर से घिर चुके हो। अब बचने का कोई रास्ता नहीं है, तुम्हारी एक गलती तुम्हें सीधे नरक पहुंचा सकती है।" अरुण की गाड़ी की ओर गन तानते हुए मुरली ने उसे वार्निंग दी। सभी पुलिसकर्मी अपनी गाड़ियों से नीचे उतरकर अरुण की कार पर गन ताने हुए थे।
"हुंह! इन बच्चों को ये भी नहीं पता कि ये वार्निंग किसे दे रहे हैं नहीं तो इन बेचारों की इतनी हिम्मत कहाँ होती। अरुण जहां भी जाता है एक नरक को अपने साथ लिए चलता है। वैसे भी मैं भी तो यही चाहता था कि ये अपनी गाड़ियों से बाहर आये।" अरुण के होंठो पर शरारती मुस्कान थी, उसकी मुट्ठियां स्टेयरिंग पर कसी हुई थी। पैर एक्सीलेटर दबाते जा रहे थे, गाड़ी से निकलता धुँआ वातावरण में फैलने लगा।
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"ये पुलिसिये तो अपने चिचा के पीछे ही पड़ गए, वैसे भी मुझे क्या करना है। थोड़ी ही देर में यह पूरी जगह ब्लास्ट हो जाएगी, और चीफ को यही खटारा मिली थी मेरे लिए।" अनि अपनी मोटरसाइकिल पर धीमी गति से आगे बढ़ता हुआ, बुरी तरह झल्ला रहा था।
"तुमको क्या प्रॉब्लम है?" रिस्टवॉच से एक लड़की की आवाज उभरी।
"प्रॉब्लम? ये कोई कॉमेडी शो चल रहा है क्या? कैसा बेहूदा सवाल पूछा जा रहा है!" अनि ने मुँह बनाते हुए कहा।
"यहां हर कोई तुम्हारी तरह एंटरटेनिंग परपज़ लेकर नहीं बैठा है मिस्टर अनि! अपनी समस्या बताओ!" उधर से उस लड़की का भर्राया हुआ स्वर गूँजा।
"ये लो जी, आप तो नासाज हो गयी। बस मुझे ये बताओ इस मोटरसाइकिल में ठीक क्या है? मुझे तो इससे ही प्रॉब्लम है। ऑर्न' को नहीं भेज सकते थे क्या?" अनि ने व्यंग करते हुए कहा।
"तुम हर वक़्त अपनी ऑर्न का प्रयोग नहीं कर सकते अनि! बैटलफील्ड में तो बिल्कुल नहीं! भूल जाओ। उस वक़्त यही मोटरसाइकिल तुम्हारे सबसे पास थी इसलिए इसे भेजा गया।" लड़की ने सपाट स्वर में कहा।
"इससे तो अच्छा है मैं पैदल चला करूँ!"
"तो चलो न! मना कौन कर रहा है?" उस लड़की को अब गुस्सा आने लगा था।
"एक बात बताओ मुझपर हर वक़्त नजर रखना जरूरी है क्या?" अनि ने मुद्दा बदलने की गरज से कहा।
"तुमपर किसी को नजर रखने का शौक नहीं! तुम खुद कॉल करके चिल्ला रहे हो कि 'क्रेकर' तुम्हें पसन्द नहीं।" लड़की ने उत्तर दिया।
"अच्छा तो इसका नाम क्रेकर है? मगर मुझे तो यही क्रैक लग रहा है। इतना ज्यादा शोर…!"
"तुम उसके वॉल्युम को कम कर सकते हो मिस्टर! कुछ काम तो खुद से किया करो!"
"अहं! हाँ बिल्कुल कर सकता हूँ पर कैसे..?" अनि बौखलाते हुए कहा।
"तुम अपने 'रिर्प' (ब्लैक एंड्रॉयड) से इसे कंट्रोल कर सकते हो, वक़्त बीतने के साथ तुम क्रेकर को समझने लगोगे, उम्मीद है यह तुम्हें ऑर्न' से भी अधिक पसंद आएगा।" लड़की ने कहा। "उम्मीद है तुम दुबारा फालतू कामों के लिए हमें तकलीफ नहीं दोगे, तुम अपने रिर्प से सारी जानकारियां खुद देख सकते हो।" कहते हुए उस लड़की ने सम्बन्ध विच्छेद कर दिया।
"मैं तुम्हें क्या परेशान करूँगा यार! तुमसे ज्यादा परेशान तो मैं ही हो जाता हूँ। वैसे भी ये सीक्रेट सोसायटी द्वारा निर्मित है, सबकुछ सीक्रेट तो होगा ही इसमें!" अपना माथा पीटते हुए अनि ने 'रिर्प' को निकाला और अपने हिसाब से सबकुछ सेट करने के बाद वापिस जेब में रख दिया।
"लो अब हो जाओ शुरू!" अनि ने कहा।
"यस सर!" क्रेकर ने मशीनी आवाज में कहा।
"क्या तुम बोल भी सकते हो?" अनि हैरान था।
"जी सर मुझे स्पेशल कमांड्स को फॉलो करने के लिए बनाया गया है, मैं एक लिमिट तक बाते कर सकता हूँ।" क्रेकर ने कहा।
"फिलहाल मुझे बातें करने का शौक नहीं है क्रेकर! बस अपना वॉल्युम कम कर लो यार, लगता है अब कान के डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा।" अनि ने अपने कान खींचते हुए कहा।
"कान का डॉक्टर यहां से थोड़ी दूर नार्थ-वेस्ट की चौथी गली में है सर! क्या आप उनसे मिलना चाहते हैं?"
"अभी बस अपनी वॉल्यूम कम कर यार! डॉक्टर का मैं देख लूंगा।" अनि बुरी तरह झल्लाया।
"ओके सर!" क्रेकर आज्ञाकारी बालक की तरह आदेश पूरा करता हुआ बोला।
"अब चलो!" तभी अनि ने देखा अरुण फुल स्पीड में उसकी ही ओर बढ़ा जा रहा है, पुलिस की गाड़ियां उसकी तेज टक्कर से छितरा गयी थी, अगले ही क्षण वह अनि को भी क्रॉस कर चुका था।
"क्या यार क्रेकर! इज्जत का आलूबुखारा कर दिया, देख भला वो सनकी कितने स्पीड से बेआवाज गुजर गया। अपनी इज्जत का कुछ तो ख्याल कर!" अनि ने बाइक मुड़ाते हुए कहा।
"मैं मेरी इज्जत का ख्याल नहीं कर सकता सर! मैं केवल कमांड फॉलो कर सकता हूँ।" क्रेकर ने कहा।
"तो फिर कमांड मेरे हाथ में दो और तुम थोड़ी देर शांत हो जाओ।" कहते हुए अनि, अरुण के पीछे लग गया। पुलिस की कई गाड़िया भी पीछे से आती हुई नजर आ रही थी। अरुण तेज गति से ब्लैक बिल्डिंग की ओर बढ़ता जा रहा था, अनि भी उसके पीछे फुल स्पीड से चला जा रहा था, अचानक वातावरण में एक कर्णभेदी धमाका हुआ, यह विस्फोट अनि के ठीक पीछे की ओर हुआ था। जमीन का एक बड़ा सा टुकड़ा हवा में उछल गया यह देखते ही पुलिसवालों ने अपनी गाड़ी जहाँ के तहां ही खड़ी कर दिया। विस्फोटों की संख्या में द्रुत गति से वृद्धि होती जा रही थी, अरुण अब तक टूटी हुई ब्लैक बिल्डिंग के पास पहुंच चुका था।
"क्या यार अब एक कार का पीछा नहीं कर सकते हम?" अनि के हाथ एक्सीलेटर पर कैसे हुए थे मगर अब भी वह अरुण तक नहीं पहुंच सका था। अचानक ही क्रेकर की स्पीड द्विगुणित होने लगी, अनि यह देखकर हैरान था। चारों ओर धूल गुब्बार फैला हुआ था, जमीन के टुकड़े हवा में ऐसे उछलते जा रहे थे जैसे छोटे बच्चे कंकर पत्थर फेंक रहें हो। क्रेकर अब तक अरुण की गाड़ी के पास पहुंच चुका था, इसके साथ ही वे दोनों बिल्डिंग को पार कर पहाड़ियों की कच्ची सड़क पर पहुंच चुके थे। वह पूरा स्थान उड़ चुका था, अरुण यह देखकर बहुत हैरान था अब तक वे दोनों पहाड़ी के ऊपरी चोटी तक पहुंच चुके थे। अरुण के पीछे अब अनि के अतिरिक्त कोई अन्य नहीं लगा था, इसलिए उसने कार को रोकने की कोशिश की मगर शायद ब्रेक फेल हो चुका था, उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की पर वह बुरी तरह लॉक्ड था, कार के बुलेटप्रूफ शीशे भी बहुत मजबूत थे और इतने अधिक स्पीड में वह स्टेयरिंग छोड़कर शीशे तोड़ने पर फोकस नहीं कर सकता था और तो और हैंडब्रेक भी जाम हो चुका था, वह कार ऑटोमैटिकली लॉकडाउन मोड में चली गयी थी। यह बात अनि भी समझ चुका था कि उसकी कार का ब्रेक फेल हो चुका था मगर वह उसकी हेल्प कैसे करे यह समझ नहीं पा रहा था। अगले ही पल अरुण ने ऐसी हरकत की जिसकी उम्मीद करना भी बेकार था, वह एक्सीलेटर पर और अधिक दबाव बढ़ाता गया, कार कमान से निकले तीर की भांति घाटी में नीचे उतरने लगी।
'इसको हमेशा इतना मरने-मारने का शौक क्यों रहता है? जब देखो किसी न किसी को मारते रहता है या खुद मरने निकल लेता है। कोई ढंग का काम नहीं आता क्या इसे?' अनि उसकी इस हरकत पर झुंझलाते हुए चिल्लाया।
"अब मैं इसके पास कैसे पहुँचूँ?" अनि ने कहा, वह अरुण की अप्रत्याशित हरकत से हैरान था, अगर वह चाहता तो खाई में कूदने के अलावा कुछ और भी कर सकता था मगर.. अनि के पास उसकी खटारा बाइक क्रेकर के अतिरिक्त और कुछ नहीं था। वह बस अरुण को हवा के झोंके की तरह खाई में अपनी मौत की तरफ जाते हुए देखने के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं कर सकता था।
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आदित्य अभी भी हॉस्पिटल में बैठा मेघना के होश आने का इंतजार कर रहा था। वह अच्छी तरह से जानता था कि इतनी टाइट प्लानिंग और पुलिसवालों से बचकर निकल पाना नामुमकिन था। तभी नर्स ने उसे बताया कि मेघना को धीरे-धीरे होश आ रहा है। आदित्य, मेघना के वार्ड में चला गया, मेघना ने अरुण को देखते ही उठकर बैठने की कोशिश की, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान खिली हुई थी।
"अरे नहीं यार! लेटी रहो। वैसे भी सीनियर तुम हो मैं नहीं!" आदित्य ने हंसते हुए कहा। वह बाकी सब बात करके मेघना को टेंशन नहीं देना चाहता था।
"आदि! तुम…!" मेघना बस इतना ही कह सकी।
"मैं बिल्कुल ठीक हूँ। तुम कैसी हो मेघ, अब कैसा महसूस कर रही हो?" आदित्य ने उसकी बात काटते हुए कहा।
"मैं भी बिल्कुल ठीक हूँ। ड्यूटी के लिए एकदम तैयार!" मेघना के होंठो पर मुस्कान गहरी होती चली गयी।
"थैंक गॉड! मैं तुम्हें कभी खोना नहीं चाहता मेघ!" आदि के आँखों में आँसू भर आये, मगर चेहरे पर एक असीम सुकून था।
"मैं जानती हूँ आदि! जब से सिया गुजरी है तुम किसी को खोना नहीं चाहते! मैं भी तुम्हें नहीं खोना चाहती मेरे प्यारे दोस्त!" मेघना की पलके भी नम हो चुकी थीं। "जब से अंकल-आंटी और अनिका तुम्हें उस कार हादसे के बाद छोड़कर गए…!"
"वो याद मत दिलाओ मेघ! किस्मत ने हर बार मेरे साथ बेवफाई की, बस पॉलिटिकल फायदे के लिए मेरी दुनिया उजाड़ दी गयी। मैं दर-दर भटकता रहा मगर किसी ने मेरी एक नहीं सुनी। माँ का वो आँचल, पापा की हर सुबह की डांट, बहन से झगड़ा, वो सब किसी सपने की तरह लगता है। राखी के दिन ये सूनी कलाई मुझे काटने को दौड़ती है। मुझे नफरत हो गयी इस सिस्टम से, जहां हर कोई बस अपने फायदे के लिए जी रहा है। किसी को किसी से कोई मतलब नहीं… तुम्हारें अलावा मेरे पास कोई नहीं था जो मेरा साथ देता।" आदित्य के दिल में बरसो से दबा दुखों का ये ज्वालामुखी फट पड़ा था, आँसुओ के रूप में लावा आंखों से बहने लगा।
"पर तब भी तुमने इस बुरे सिस्टम से बदला लेने के बजाए यह तय कि तुम इसी सिस्टम का हिस्सा बनोगे और कभी किसी के साथ वैसा जुल्म नहीं होने दोगे जैसा तुम्हारे साथ हुआ। मुझे तुम पर गर्व है आदि! मुझे मेरे दोस्त पर हमेशा गर्व होता है।" मेघना ने उसे बैठे-बैठे ही गले से लगा लिया।
"उस हादसे से मैं कभी उबर नहीं पाया मेघ! तुमने बहुत कोशिश की मगर सब नाकाम। फिर मेरी ज़िंदगी में सिया आयी, मैं फिर से हँसना बोलना सीख गया था, उसने मुझे जीना सिखाया, उसका भी मेरे अलावा दुनिया में कोई नहीं था। हम दोनों एक दूसरे की जरूरत बन गए, मुझे एहसास हुआ कि मेरी दुनिया अब भी यहीं कहीं है। हर सुबह, हर शाम मेरे लिये मेरी सबकुछ सिर्फ वही थी। अब मेरे पास एक दोस्त और एक जिंदगानी थी, ये दो वजहें मेरे जीने के लिए काफी थीं, उसके कहने पर मैं तुम्हारें साथ पुलिस फोर्स जॉइन कर लिया। मगर किस्मत को मेरा खुश होना, मेरा हँसना-खिलखिलाना मंजूर नहीं हुआ, उसने फिर से मेरी दुनिया तबाह कर दी, जिसे डोली में उठाकर अपने घर लाने का सपना था, उसे अर्थी पर लेटाकर शमशान ले जाना पड़ा।" आदित्य बुरी तरह सुबकने लगा। पुराने जख्म हरे हो गए थे, उसका दिल बुरी तरह चीख रहा था। "अब मेरे पास सिर्फ मेरी दोस्त है, जिसके सहारे मुझे जीना है। मैं तुम्हें नहीं खोना चाहता मेघ! मैं तुम्हें नहीं खोना चाहता।" जोर-जोर से सिसकते हुए आदित्य ने मेघना को और कसकर गले लगा लिया था। मेघना ने महसूस किया उसका दायाँ कंधा भीग चुका था। उसकी भी आँखों में आँसुओ की लड़ी लगी हुई थी।
"मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नही जाने वाली मेरे दोस्त! मैं हमेशा यहीं हूँ। तुम्हारें साथ..!"मेघना ने उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा। आज आदित्य बहुत बुरी तरह भावनाओं में बह चुका था, मेघना को खो देने भर के ख्याल से उसकी रूह तक सिहर गयी थी।
"रोना बन्द कर पगले!" मेघना ने जबर्दस्ती मुस्कुराने की कोशिश की, यह देखकर आदित्य सारा दर्द भूलकर हौले से मुस्कुरा दिया।
"हूँ!"
"वो सब छोड़! ये बताओ मेरे पापा को तो नहीं बता दिया न कि ये हुआ है मेरे साथ?" मेघना ने आँखों के इशारे उससे पूछा।
"नहीं तो!" आदित्य ने मुँह बनाते हुए कहा। उसके होंठो पर गजब की मुस्कान ठहर गयी। "बिल्कुल नहीं!"
"दरवाजे पर नजर डालोगी तब तो मालूम होगा कुछ!" एक भारी भरकम मिठास भरे स्वर ने उनका ध्यान खींचा।
"पापा आप यहां?" मेघना ने खड़े होने की कोशिश करते हुए कहा।
"हम तो कब से यहीं है बेटे! अरे क्या कर रही हो? बैठी रहो चुपचाप!" मेघना के पापा, उसके बेड के नजदीक जाकर बोले। "थैंक्स बेटा! तू न बताता तो ये आजतक कभी बताती ही नहीं कुछ!" उन्होंने आदित्य के कंधे पर थपथपाते हुए कहा।
"आदि! यू लायर! चीटर!" मेघना आदित्य पर बरस पड़ी, यह देखकर कोई कह नहीं सकता था कि कुछ देर पहले ये दोनों एकदूसरे के गले लगकर सांत्वना दे रहे थे।
"हाँ! हाँ! ठीक है! कुछ और भी बचा हो तो बोलो। मगर मैं यहां तुम्हें ओनली डॉक्टर्स के भरोसे नहीं छोड़ सकता। मुझे ड्यूटी के लिए भी निकलना है।" कहते हुए आदि, वहां से निकल गया।
"कितना ख्याल रखता है तुम्हारा! जानता हूँ बेटा आजकल जो भी हो रहा है उसमें मुश्किल से ही कुछ ठीक होगा। मगर घबरा मत मैं तुझे पीछे हटने को नहीं कह रहा न ही कभी कहा। तू मेरी शेरनी बेटी है, हर मुश्किल हालात से लड़, अपने दुश्मन के दाँत खट्टे कर दे। तेरे बाप बचपन से सिर्फ यही सिखाया है तुझे, मगर जब भी कोई बात हो, कोई समस्या हो तो अपने करीबी इंसान से कह दिया कर! तू सबका ख्याल नहीं रख सकती, पर फिर भी तू रखती है। कोई तेरा ख्याल रखने वाला भी तो चाहिए न!" मेघना के सिर को सहलाते हुए उसके पापा ने प्यार से कहा। "तुम मुझसे कोई बात ये सोचकर मत छिपा कि मैं तुझे डाटूंगा, अरे पागल! बाप हूँ तेरा, कोई दुश्मन थोड़े न जो हमेशा डाँटता ही रहूं!" मेघना के पापा ने हंसते हुए कहा तो मेघना की भी हँसी निकल गयी।
"मुझे गर्व है कि मैं तेरा बाप हूँ बेटी!" यह सुनकर मेघना की आंखे में फिर आँसुओ भर आये, मगर ये आँसू खुशी के थे। उसने अपना सिर अपने पापा की गोद में रख दिया। उनकी प्यार भरी थपकी से उसे बहुत सुकून मिल रहा था, थोड़ी ही देर में नींद ने उसे घेर लिया और वह सपनो की दुनिया में खो गयी।
"मेरी शेरनी! इतनी बड़ी हो गयी मगर अब भी वहीं मासूम चेहरा! काश इसकी माँ भी देख पाती हमारी बेटी कितनी बहादुर है, पर वह तो इसे जन्म देते ही छोड़ गई!" मेघना के पापा के आँखों में भी आँसू भर आये, मगर वे खुशी के थे या दुख के, पता नहीं! पर वे बस अपनी बेटी को कुशल देखकर मुस्कुराते जा रहे थे।
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आदित्य तेजी से सीढ़ियों से उतरते जा रहा था, आँखे बार बार पोंछे जाने के कारण थोड़ी सी लाल हो गईं थीं। वह लंबे कदम भरते हुए नीचे पहुँच गया, आज वह उस कातिल को छोड़ने के मूड में बिल्कुल नहीं था, जिसने इतने मासूमों का ये हाल किया, जिसकी वजह से मेघना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। वह अपनी कार का गेट खोलने ही वाला था तभी उसका फोन रिंग हुआ।
"हेलो! सब-इंस्पेक्टर आदित्य हिअर!" उसने फोन के कान से लगाते हुए कहा।
"वो भाग गया सर! वो भाग गया!" उधर से मुरली की आवाज आई।
"यह इम्पॉसिबल है! मैंने पहले ही ऐसे इंतज़ाम किये थे कि वह किसी ओर से न निकल सके।" आदित्य को अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था।
"पता नहीं सर! वह धमाकों के बीच चला गया, इतनी तो गारंटी है कि अब तक वह जलकर राख हो गया होगा।" मुरली ने बताया। "वह पूरा इलाका हवा में उड़ गया है, हम आग को बुझाने की कोशिश कर रहे हैं सर!"
"ओके! ओके! अच्छा ये बताओ वो जिस लड़के ने मेरी मदद की थी वो कहा है?" आदित्य ने उससे पूछा।
"नहीं मालूम सर! वह यहां कहीं नहीं दिखाई दे रहा है, पर धमाके से पहले वह धमाके वाले एरिया में ही था।" मुरली ने चिंता जाहिर की।
"व्हाट?" आदित्य को उसकी चिंता हुई, आखिर उसने दो-दो बार उसकी जान बचाया था।
"हो सकता है वह यहां से निकल गया हो सर! मगर सारे सुबूत सुराग सब जलकर राख हो चुके हैं!" मुरली ने बताया।
"मुझे यकीन है वहां कोई न कोई सुबूत जरूर मिलेगा, मैं अभी आता हूँ तुम लोग आग बुझाने पर ध्यान दो!" कहते हुए आदित्य ने फोन काटा और तेजी से अपनी कार में प्रविष्ट हुआ।
क्रमशः….
Pamela
02-Feb-2022 01:49 AM
Very nicely written
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Seema Priyadarshini sahay
11-Nov-2021 06:25 PM
बहुत खूबसूरत भाग
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Niraj Pandey
10-Nov-2021 10:05 AM
बहुत खूब
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